Ad

यूपी कृषि विभाग

यूपी के ज्यादातर जिले सूखे की चपेट में लेकिन सूखाग्रस्त नहीं घोषित हुआ प्रदेश

यूपी के ज्यादातर जिले सूखे की चपेट में लेकिन सूखाग्रस्त नहीं घोषित हुआ प्रदेश

भले ही पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश भारी बारिश की चपेट में आकर बाढ़ झेल रहा हो, लेकिन उत्तर प्रदेश राज्य में इस साल बारिश की भारी किल्लत देखने को मिल रही है। अगस्त का महीना विदा लेने को है और उत्तर प्रदेश के कई जिलों में अभी सामान्य से बेहद कम बारिश दर्ज की गई, जिसकी वजह से किसान बेहाल हैं और परिस्थितियां सूखे जैसी हो गई हैं। जब कोई क्षेत्र सूखा घोषित होता है तो उसे सरकार मुआवजा देती है, लेकिन चौंकाने वाली बात है कि सूखे के आंकलन को लेकर सरकारी कागजों में अलग ही खेल चल रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अगर विश्लेषण सही से किया जाए, तो पता चलेगा कि राज्य के 38 ज़िलों में सामान्य से कम बारिश हुई है जिसकी वजह से वहां के ज्यादातर इलाकों में खरीफ की फसलें नहीं बोई गईं। लेकिन जब बात सरकारी अमले की आती है, तो उन्होंने जिलेवार आंकड़े तो तैयार किए हैं लेकिन ये आंकड़े कहानी कुछ और ही बयां कर रहे हैं।

ये भी पढ़ें: किसान भाई ध्यान दें, खरीफ की फसलों की बुवाई के लिए नई एडवाइजरी जारी
यूपी कृषि विभाग का कहना है कि इस बार खरीफ की फसल किसानों ने जमकर बोई और रोपी है। आंकड़ों में ये भी कहा गया है कि 98 प्रतिशत भूमि पर बुवाई और रोपाई का काम पूरा हो चुका है। अब इसी बात के चलते उत्तर प्रदेश में सूखे की घोषणा नहीं की गई है जबकि प्रदेश में सूखे जैसे हालात तो हैं ही। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो प्रदेश के 38 जिलों में खरीफ की फसलें बहुत कम बोई या रोपी गई हैं और किसान बदहाल हैं। ऐसे में उन्हें इलाका सूखाग्रस्त घोषित होने से सरकार से कुछ उम्मीदें थीं, लेकिन अब ये उम्मीदें भी खत्म नजर आ रही हैं। यूपी का इटावा जिला कम बारिश होने से सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है।

ये भी पढ़ें: सोयाबीन, कपास, अरहर और मूंग की बुवाई में भारी गिरावट के आसार, प्रभावित होगा उत्पादन
आलम यह है कि यहां किसान बेहद परेशान हैं। लेकिन सरकारी आंकड़े कुछ और ही कहानी बयां कर रहे हैं। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इटावा जिलें में 50 हजार हेक्टेयर में बुवाई और रोपाई की जानी थी, जिसमें से 43 हजार हेक्टेयर में धान की रोपाई हुई है। इसके अलावा रोपाई और बुवाई जिन जिलों में नहीं हुई है उनके नाम गाजीपुर, जौनपुर, प्रयागराज, प्रतापगढ़, मुरादाबाद, सोनभद्र, मऊ, सुल्तानपुर, अमेठी और लखनऊ हैं। बारिश न होने से खेतों में दरारें पड़ गई हैं, जिसकी वजह से सूख चुके धान के खेतों पर कई किसानों ने ट्रैक्टर से जुताई कर दी है। देवरिया के एक किसान ने बताया कि उन्होंने अपने खेत में धान बोई थी, लेकिन जब बारिश नहीं हुई तो मजबूरी में उन्हें धान लगे खेत को ट्रैक्टर से जोतना पड़ा। वैसे तो ज्यादातर जगहों पर किसानों ने बुवाई या रोपाई की ही नहीं थी, लेकिन जहां की गई वहां की फसलें खराब हो गई हैं।

ये भी पढ़ें:
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से किसानों को क्या है फायदा इस साल यूपी के अधिकतर इलाकों में 65 प्रतिशत से कम बारिश दर्ज की गई है, जिसकी वजह से धान की फसल पीली होकर सूख गई है। जाहिर है कि किसान इस वजह से बेहद परेशान हैं। ऐसे में अगर प्रदेश सूखाग्रस्त घोषित कर दिया जाता है, तो उन्हें कुछ अनुदान मिल जाएगा और उनकी जिंदगी की गाड़ी पटरी पर आ जाएगी।
इस सरकारी योजना में मिलता है गजब का फायदा, 50% तक का मिलता है किसानों को अनुदान

इस सरकारी योजना में मिलता है गजब का फायदा, 50% तक का मिलता है किसानों को अनुदान

किसानों को इस योजना से गजब का फायदा मिलता है। जो किसान सिंचाई कि समस्या से परेशान है उनके लिए यह योजना बड़ा ही कारगर साबित होने वाला है। केंद्र और राज्य सरकार द्वारा इस योजना के माध्यम से किसानों के सिंचाई की समस्या से समाधान निकालने के लिए जोर दिया जा रहा है। पूरे भारतवर्ष में कृषि के मामले में किसानों को बेहतर मुनाफा अर्जित करने के लिए सरकार द्वारा लगता नए-नए योजनाओं को धरातल पर लागू कराने के लिए प्रयास किया जा रहा है। सरकार किसानों के बेहतर भविष्य के लिए चिंतित है। सरकार ने किसानों के सिंचाई को समस्या को देखते हुए इस योजना का शुभारंभ किया है। इस योजना का नाम खेत तालाब योजना (Khet Talab Yojna; Farm Pond Scheme) है। खेत तालाब योजना के माध्यम से किसानों को सिंचाई के समस्या से वंचित कराना है। खेती करने के लिए किसान को जल की आवश्यकता होती है। जल के द्वारा ही उगाए जा रहे फसलों की सिंचाई की जाती है। बहुत सारे किसान सिंचाई के लिए आवश्यक जल का उपयोग ट्यूबवेल और अन्य साधनों से करते हैं। लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार किसानों के लिए खेत तालाब योजना लाकर के किसानों को सिंचाई की समस्या से उबारने का भरपूर प्रयास कर रही है।

क्या है खेत तालाब योजना

इस योजना के अंतर्गत किसानों के खेतों में एक छोटे से भाग में तालाब का निर्माण कराया जा रहा है, जिसमें बारिश के पानी को एकत्रित किया जाएगा, इसका मुख्य उद्देश्य किसानों को सिंचाई के समस्या से उबारना है। खेतिहर जमीन में तालाब निर्माण के लिए किसानों को अनुदान भी दिया जाता है, अपने जमीन के भूभाग में किसान तालाब का निर्माण करा करके इसमें
मछली का पालन भी कर सकते हैं। इससे किसानों को सिंचाई की समस्या से वंचित होने के साथ-साथ ट्यूबवेल में लगने वाली किसानों की लागत भी कम हो जाती है। [embed]https://twitter.com/UPGovt/status/1285431902313144320[/embed]


ये भी पढ़ें: मत्स्य पालन की पूरी जानकारी (Fish Farming information in Hindi)

सरकार के द्वारा दिया जाता है इतना प्रतिशत का अनुदान

इस योजना का सबसे बेहतर फायदा यह है कि सरकार के द्वारा 50% अनुदान दिया जाता है, यानी आपके लागत का आधा सरकार खुद आपको देती है। खेतिहर जमीन में तालाब बनाने के लिए लगभग ₹100000 का खर्चा आता है, जिसमें ₹50000 इस योजना के अंतर्गत सरकार के द्वारा आपको तालाब के निर्माण के लिए मिल सकता है। अगर आप इस योजना का लाभ लेना चाहते है तब। वही बड़े तालाब के निर्माण के लिए 2 से ढाई लाख रुपए का खर्चा आता है, जिसमें आधी रकम सरकार के द्वारा आप को अनुदान के रूप में दिया जाता है। अभी तक उत्तर प्रदेश के सरकार ने इस योजना के अंतर्गत लगभग दो हजार से ज्यादा तालाबों का निर्माण करवाया है। जिसमें 50 प्रतिशत की राशि सरकार के द्वारा किसानों को तालाब निर्माण के लिए अनुदान के रूप में दिया गया है।

खेत तालाब योजना से किसानों को मिलेंगे ये लाभ :

यह योजना किसानों के लिए बहुत ही लाभप्रद है। खेत तालाब योजना का किसान अगर लाभ लेते हैं, तो इससे सबसे बेहतर फायदा यह है कि जल संरक्षण को पूर्ण रूप से बढ़ावा मिलेगा। किसानों को सच्चाई की समस्या जो उत्पन्न होती है, उसका निवारण अपने ही जमीन में निर्माण कराए गए तालाब के द्वारा आसानी से हो जाएगा। साथ ही साथ किसान को एक बेहतर फायदा यह मिलेगा कि निर्माण कराए गए तालाब में वह मछली का पालन आसानी से कर पाएंगे और उससे भी मुनाफा अर्जित करने में सक्षम हो पाएंगे। इस योजना का लाभ लेने के लिए किसानों के लिए तत्काल ऑनलाइन अप्लाई करने की सुविधा उपलब्ध कराई गई है। अब किसानों को इस योजना का लाभ लेने के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने नहीं पड़ेंगे। इस योजना का लाभ लेने के लिए सबसे पहले आपको उत्तर प्रदेश का स्थाई निवासी होना अनिवार्य माना गया है। वहीं दूसरी तरफ अगर आप पहले से ही किसी तालाब योजना का लाभ ले रहे हैं, तो इस योजना का लाभ आपको प्राप्त नही होगा। अगर आप एक रजिस्टर्ड किसान है तो इस योजना का लाभ ले पाएंगे। अब अगर आप इस योजना का लाभ लेना चाहते है और सिंचाई की समस्या से वंचित होकर उगाए गए फसलों पर अधिक लाभ कमाना चाहते है, तो आपको जल्द ही इसे ऑनलाइन अप्लाई करना चाहिए। इसके लिए उपयुक्त दस्तावेज होना अनिवार्य है, जिसमें जाति प्रमाण पत्र आधार कार्ड बैंक खाते का विवरण स्थानीय निवास प्रमाण पत्र मोबाइल नंबर और खाते का दस्तावेज होना अनिवार्य माना गया है। खेत तालाब योजना आवेदन के लिए आप यूपी कृषि विभाग पारदर्शी किसान सेवा योजना की वेबसाइट पर जाएँ:  https://upagripardarshi.gov.in/Index-hi.aspx पारदर्शी सेवा वेबसाइट के होम पेज पर आप उपर मीनू में " योजनायें > मुद्रा एवं जल सरंक्षण > राज्य प्रायोजित विकल्प " पर क्लिक करें। तो देर ना करें जल्दी इस योजना का लाभ लेने के लिए ऑनलाइन अप्लाई करें और इस योजना का बेहतर लाभ ले करके अपने आय को खेती के माध्यम से दुगुना करें।
यूपी सरकार की बड़ी प्लानिंग, जल्द खुलने जा रहे हैं बीज पार्क

यूपी सरकार की बड़ी प्लानिंग, जल्द खुलने जा रहे हैं बीज पार्क

कहा जाता है कि, किसानों की अच्छी फसल उनके अच्छे बीजों की क्वालिटी पर निर्भर करती है. जिसके लिए कई राज्यों में किसानों को उन्नत बीज उपलब्ध करवाए जाते हैं. इसके अलावा बीज खरीदने के लिए जो भी लागत आती है, उसे कम करने के लिए मिनी किट भी फ्री में बांटी जाती है. इसी दिशा में अब यूपी सरकार ने बीजों की उपलब्धता के लेकर बड़ी प्लानिंग कर ली है और इस पर काम कर रही है. यूपी सरकार अब खुद का बीज पार्क बनाने जा रही है. कहा जा रहा है कि इस पार्क से किसनों को उन्नतशील बीजों की उपलब्धता राज्य के बाहर से मंगवाने के बजाय घरेलू बीज पार्क से ही उपलब्ध कराया जाएगा. जानकारी के मुताबिक बता दें कि, इस पूरी प्रक्रिया में यूपी के कृषि विभाग को साउथ के राज्यों की भी मदद मिलेगी. रिपोर्ट्स के मुताबिक उत्तर प्रदेश का सबसे पहला बीज पार्क लखनऊ के मलीहाबाद स्थित रहमान खेडा में बनाया जा सकता है. इस जगह से किसानों को मोटा अनाजों के बीज भी उपलब्ध करवाए जाएंगें.

जानिए सरकार की प्लानिंग

यूपी सरकार ने राज्य में पहला बीज पार्क स्थापित करने की तैयारियां शुरू कर दी हैं. हाल ही में यूपी के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप साही ने कई शहरों में विजित किया था. जहां पर बीज पार्क को बनाने से जुड़ी कई जरूरी जानकारियां मिली थीं. ये भी देखें: 13 फसलों के जीएम बीज तैयार करने के लिए रिसर्च हुई शुरू आपको बता दें कृषि मंत्री ने हैदराबाद में कई कृषि कम्पनियों के प्रतिनिधियों के सामने यूपी की राजधानी लखनऊ में बीज पार्क बनाने के लिए मदद भी मांगी.

मिलेंगे धान और मिलेट के उन्नत बीज

उत्तर प्रदेश में बनने वाले बीज पार्क में धान और मिलेट के उन्नतशील किस्में उपलब्ध करवाई जाएंगी. इनकी उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए कृषि मंत्री ने हैदराबाद में विजित करके धान और मिलेट के उन्नत बीजों को लेकर स्टार्टअप करने को लेकर जानकारियां हासिल की हैं.

इस संस्थान से मिलेगा मोटा अनाज का बीज

यूपी में राज्य सरकार मोटा अनाज के उत्पादन को बढ़ाने में कमर कस चुकी है. जिसके लिए अच्छे और बेहतर उत्पादन की जरूरत है और यह जरूरत उन्नतशील बीजों से पूरी होनी जरूरी है. राज्य में मिलेट के एडवांस बीजों को मुहैया करवाने के लिए भारतीय म,मोटा अनाज अनुसंधान संस्थान ने मदद का आश्वासन दिया है. संस्थान की मानें तो यूपी में मिलेट की उपज को बढ़ाने के लिए साइंटिस्ट की टीम राज्य में विजिट करेगी. ताकि किसानों को इस विषय में ज्यादा से ज्यादा जानकारी मुहैया करवाई जा सके. जानकारी के लिए बता दें कि उत्तर प्रदेश बीजों का काफी बड़ा बाजार है. जहां देश की कई बड़ी कम्पनियां बीज बेचकर करोड़ों रुपये का मुनाफा कमा रही हैं, और कारोबार कर रही हैं.